1. अज़ा-ए-शाह पर कम यूँ तो बमबारी नहीं होती
2. वो सरे फ़र्श-ए-अज़ा खूँ रो रहा है कर्बला
3. हर एक हुर्र की ख़ता दरकिनार करते हैं
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