Qita Shayari

 


【1】

ख़ंजर अतश रसीदा हैं प्यासे हैं अहले शर
इक करबला है और लहू की सबील है


अब भी शहीद होते हैं सरवर के जाँ निसार
अल्लाह जंग-ए-करबला कितनी तवील है



【2】


ऐ करबला तेरा मक़तल अजब जुनून का था

कि ख़ंजरों की सफ़ों‌ में भी रक़्स ख़ून का था


सितम के तीर की ज़द पर यूँ हँस दिए असग़र

कि बात उम्र की थी मसअला फु़नून का था



【3】


ख़्वाब-ए-शाह-ए-मिस्र की मोहकम निशानी हो गए

ख़ुश्क दरिया हो गए और दश्त पानी हो गए


क़हत-ओ-ख़ुश्की की अलामत तो नहीं ये दोस्तों

सब्ज़ पत्ते एक शब में ज़ाफ़रानी हो गए



【4】


मिस्ल-ए-आबिद क़ैदख़ाने को भी रौशन कर दिया

आसमान-ए-सब्र का वो माहे अनवर है नक़ी


इससे बढ़कर और क्या रुसवाई होगी ज़ुल्म की

बेड़ियों में क़ैद होकर भी मुज़फ़्फ़र है नक़ी



【5】


ख़ामुशी ज़ुल्म की रूदाद नहीं हो सकती

आसमाँ तकने से इमदाद नहीं हो सकती


चीख़ना पड़ता है मज़लूमों तुम्हें इल्म नहीं

नर्म लहजे में तो फ़रियाद नहीं हो सकती


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