उठाके पर्दा जो फ़ख़्रे रसूल आ जायेंगे
उठाके पर्दा जो फ़ख़्र-ए-रसूल आ जायेंगे
जो ख़ुश्क शाख़ें हैं उनपर भी फूल आ जायेंगे
नबी की पुश्त पा जिस दम हुसैन चढ़ जाएगा
दिलाने सजदे को जिब्रील तूल आ जायेंगे
कभी हुसैन पा जो वक़्त आ पड़ेगा तो हम
ज़रा भी फ़िक्र न कीजो बतूल आ जायेंगे
जबीनें शम्स-ओ-क़मर सी चमकने लग जायेंगी
जब उनके क़दमों की हम होके धूल आ जायेंगे
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