Sher Collections
आख़िरश क्योंकर नहीं इतराऊँ मैं
ख़ाक हूँ पर करबला की ख़ाक हूँ
___
ये कहके भेजे गए हैं पयम्बराने ख़ुदा
तुम्हारा काम ख़ुदा को ख़ुदा बनाना है
___
हर नफ़स आती है इक मानूस सी ख़ुशबू मुझे
क्या मेरे अतराफ़ में तेरी हवा है करबला
___
ख़ुल्द में पुकार उठ्ठीं हूरें देखकर मझको
शाहे दीं का दीवाना कितना ख़ूबसूरत है
___
साथ मज़लूम के हैं दीन के हामी हम हैं
मुख़्तसर ये है फ़िलिस्तीन के हामी हम हैं
___
गला कटाके भी नेज़े से गुफ़्तगू करना
ये कारनामा हमारे लिए अजब नहीं है
___
पुकारती हैं तुम्हें मेरी तशनालब आँखें
पिलाने दीद का ज़मज़म इमाम आ जाओ
___
बता ऐ करबला आख़िर ये माजरा क्या है
तेरे ख़्याल मुझे सोगवार करते हैं
___
To Download Poetry Images :- Click Here
Comments
Post a Comment