ऐसे, बुलाओगे उसे इमदाद के लिए

ऐसे, बुलाओगे उसे इमदाद के लिए 

लहजे में दर्द चाहिए फ़रयाद के लिए


मक़सद को समझें शाह के, कोई तो दर्स लें

ये करबला नहीं है फ़क़त याद के लिए


घर से नहीं निकलने दो बहनों को बे-रिदा

ज़ैनब का वास्ता तुम्हें, सज्जाद के लिए


अब भी सजाये बैठे हो लब पर ख़मोशियाँ

आवाज़ कब उठाओगे बेदाद के लिए ?


दिल में फ़क़त ख़ुदा की मोहब्बत रखो बहन

शीरीं नहीं बनो किसी फ़रहाद के लिए


बूढ़े पदर को छोड़ गया है जवाँ पिसर

क्या क्या किया था बाप ने औलाद के लिए 


इस्लाह क़ौम की हो यही है हदफ़ मिरा

मैं शेरगोई करता नहीं दाद के लिए


बेचे हैं अपने हाथों के कंगन तलक "अमान"

इक माँ ने मेरी काग़ज़ी असनाद के लिए

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