मीठे हैं बेहिसाब रसीले हैं सुनके, लोग
मीठे हैं बेहिसाब रसीले हैं सुनके, लोग
ले जायेंगे दरख़्तों से शहतूत चुनके लोग
साबित हुआ कि भबके से ज़ाया हुआ अनाज
पीछे पड़े हुए हैं मगर फिर भी घुन के लोग
परवरदिगार तूने बना तो दी कायनात
माना समझ ना पाए अगर हर्फ़-ए-कुन के लोग ?
जंगल की सैर करके वो घर भी चला गया
और साफ़ करते रह गए आँखों से भुनके लोग
लोगों का इक हुजूम सा रहता है आस-पास
बालों से ख़म निकालते रहते हैं उनके लोग
जाड़े पड़े तो जाएगा मेरी तरफ़ ध्यान
सन्दूक़ में रखेंगे अभी मुझको बुनके लोग
शहर-ए-सुख़न में होगा ना लहजा 'अमान' सा
हरगिज़ नहीं मिलेंगे तुम्हें मेरी धुन के लोग
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